भारत और मालदीव के बीच तनातनी का माहौल लगातार बना हुआ है l इसी कड़ी में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने आधिकारिक तौर पर भारत को अपने सैनिक हटाने के लिए 15 मार्च तक का समय दिया है। मिडिया से बात करते हुए मालदीव के प्रेसिडेंट ऑफिस के प्रवक्ता अब्दुल्ला नजीम इब्राहिम से इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा मौजूदा हालातों में भारतीय सैनिक मालदीव में नहीं रह सकते। राष्ट्रपति मुइज्जू और उनकी सरकार की यही नीति है।
मालदीव की मीडिया के मुताबिक फिलहाल वहां पर 88 भारतीय सैनिक मौजूद हैं l सैनिकों को हटाए जाने के लिए हाई लेवल कमिटी का गठन किया गया है l इस कमिटी ने रविवार को मालदीव के विदेश मंत्रालय के साथ पहली बैठक की l इस मीटिंग में भारत के हाई कमिश्नर मुनू महावार भी मौजूद थे l
इस ताज़ा हालत और नए समीकरणों के बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने कोई भी अधिकारिक घोषणा नहीं की है l हालांकि हाल ही में UAE में संपन्न हुए COP28 मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा था कि भारत सरकार ने मालदीव में मौजूद अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है।
मालदीव में क्यों हैं भारतीय सैनिक
भारत ने मालदीव को 2010 और 2013 में दो हेलिकॉप्टर और 2020 में एक छोटा विमान तोहफे के तौर पर दिया था। इस पर मालदीव में काफी हंगामा हुआ। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति अपनाने का आरोप लगाया था।
भारत का कहना है कि उपहार में दिए गए विमान का इस्तेमाल खोज-बचाव अभियानों और मरीजों को लाने के लिए किया जाना था। मालदीव की सेना ने 2021 में बताया था कि इस विमान के संचालन और उसकी मरम्मत के लिए भारतीय सेना के 70 से ज्यादा जवान देश में मौजूद हैं।इसके बाद मालदीव के विपक्षी दलों ने ‘इंडिया आउट’ अभियान शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि भारतीय सुरक्षा बल के जवान मालदीव छोड़ें।